सोमवार, 20 मई 2013

"जबकि मैं मौन हूँ"





जबकि मैं मौन हूँ,
मौन रह कर क्या
बता पाउँगा इस दुनियाँ को
मेरे दिल में भी कुछ जज्बात मचलते हैं
दिलों से बर्फ पिघलते हैं
मैं भी आशा रखता हूँ की
प्यार की कलियाँ महके
सदभावना की नदियाँ बहे
मेघ के रह ताल पर
प्यार की बरसात हो
मैंने तो चाँद को भी देखा है हमेशा
चकोर की नजर से
चकाचौंध से भरी इस दुनियाँ में
मेरी भी चाहत है
किसी दिल रूपी प्रेम वीणा का
अछूता तार बनूँ
कोई मेरे हृदय के मौन भाषा को समझे
मैं तो भटकता हूँ रौशनी के लिए
पर गगन में कहीं कोई तारा ही नही
लगता है यह इस सदी का
कोई खतरनाक हादसा है
जो आज तक समझ ही न पाया.

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30 टिप्‍पणियां:

  1. किसी दिल रूपी प्रेम वीणा का
    अछूता तार बनूँ...........प्रेमभाव में एकाकी मन का रुदन। सुन्‍दर।

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  2. आपकी रचनायें पढकर अच्‍छा लगता है, बडी ही गहराई के साथ लिखते हैं आप आभार
    हिन्‍दी तकनीकी क्षेत्र की रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्‍त करने के लिये एक बार अवश्‍य पधारें और टिप्‍पणी के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ साथ पर अनुसरण कर अनुग्रहित करें MY BIG GUIDE

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  3. "किसी दिल रूपी वीणा का अछूता तार बनूँ "खूबसूरत पंक्ति |उम्दा रचना |
    आशा

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  4. सुन्‍दर। सुन्‍दर। सुन्‍दर।

    जवाब देंहटाएं
  5. ...एक उत्तम रचना!...सुन्दर प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह...
    बहुत बहुत सुन्दर!!!

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत खूब | बढ़िया लेखन | सुन्दर अभिव्यक्ति विचारों की | सादर

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं
  8. मैंने तो चाँद को भी देखा है हमेशा
    चकोर की नजर से
    चकाचौंध से भरी इस दुनियाँ में
    मेरी भी चाहत है
    किसी दिल रूपी प्रेम वीणा का
    अछूता तार बनूँ..aamin....

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर, सार्थक रचना.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर, सार्थक रचना राजेंद्र जी,आभार।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही सुन्दर कविता का सृजन,शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर और भावपूर्ण कविता,धनयबाद.

    जवाब देंहटाएं
  13. अतिसुन्दर,बहुत ही उम्दा प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  14. किसी दिल रूपी प्रेम वीणा का
    अछूता तार बनूँ

    भावपूर्ण रचना,आभार है आपका.

    जवाब देंहटाएं
  15. मौन की भाषा पढ़ने वाले कम ही होते हैं ... पर जो होते हैं वो पढ़ के भूलते नहीं ...

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  16. बहुत ही उत्कृष्ट प्रस्तुति,आभार.

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  17. मौन रहकर क्या मालूम होगा आपके दिल की बात,बेहतरीन प्रस्तुति.

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  18. यह चुप सी क्यूँ लगी है ...कुछ तो बोलिए

    जवाब देंहटाएं
  19. कोई मेरे हृदय के मौन भाषा को समझे
    मैं तो भटकता हूँ रौशनी के लिए
    पर गगन में कहीं कोई तारा ही नही
    लगता है यह इस सदी का
    कोई खतरनाक हादसा है
    जो आज तक समझ ही न पाया.

    सशक्त भावाभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  20. प्रेम को परिभाषित करती एक सुंदर कविता ...आपको धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  21. काफी सुन्दर
    प्रेम भाव से प्रेरित
    साभार !

    जवाब देंहटाएं
  22. वाह! सुन्दर भावाव्यक्ति है आपकी रचना में! वाह!

    जवाब देंहटाएं

आपकी मार्गदर्शन की आवश्यकता है,आपकी टिप्पणियाँ उत्साहवर्धन करती है, आपके कुछ शब्द रचनाकार के लिए अनमोल होते हैं,...आभार !!!